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कोरोनावायरस का संक्रमण और आयुर्वेद

नमस्कार

हम में से लगभग हर एक व्यक्ति को या तो कोरोनावायरस का संक्रमण हुआ था या फिर वैक्सीन लगी थी। अब जबकि कोरोना के बाद हृदय से संबंधित बीमारियों के मामले लगभग 26 गुना तेजी से बढ़े हैं तो ये विषय हम सबके लिए चिंतनीय है।

और चूंकि इस तरह के मामले कोरोना के बाद ही बढ़े हैं इसलिए इन्हें कोरोनावायरस के परिप्रेक्ष्य में देखा जा रहा है जो कि स्वाभाविक है ।

अब प्रश्न यह उठता है कि हम क्या करें??

उत्तर है कि हम आयुर्वेद की उस दिन चर्या को अपनाएं जिससे हृदय की रक्षा होती है और उस दिनचर्या को भूल जाएं जिससे हृदय को नुकसान होता है।

आइए जानें कि आयुर्वेद के अनुसार हमारा आहार-विहार कैसा हो कि हम अपने हृदय को स्वस्थ रख सकें।

सबसे पहले बात करते हैं "आहार" की -तो अपने आहार में अनार, नींबू, बेर, मुनक्का आदि में से किसी न किसी फल को अवश्य शामिल करने का प्रयास करें क्योंकि यह हृदय के लिए सुरक्षा प्रदान करते हैं।

अब बात करते हैं "दिनचर्या" की- तो नित्य स्नान करना और स्वर्ण धारण ( यदि सामर्थ्यवान हैं और सोने के आभूषण किसी न किसी रूप में पहन सकते हैं तो अवश्य पहनें) ये दोनों काम "हृदय" में रहने वाले हो "ओज" की रक्षा करते हैं। अतः इन्हें अवश्य करें।

नित्य योगाभ्यास हृदय की रक्षा के लिए बहुत ही असरदार है इसके लिए "शशकासन" व "प्राणायाम" का अपनी क्षमता के अनुसार नित्य प्रातः अभ्यास करें।

ये ध्यान रखें कि क्षमता से अधिक परिश्रम और अधिक व्यायाम न करें। क्योंकि यह दोनों ही हृदय को कमजोर करते हैं। अतः अपनी क्षमताओं का ध्यान रखते हुए ही परिश्रम और व्यायाम करना चाहिए।

यहां हमें यह याद रखना होगा कि पूरे वर्ष में अलग-अलग ऋतु में हमारे शरीर में जो बल है वह कभी कम, कभी मध्यम तो कभी ज्यादा रहता है। उस पर भी हमें अर्ध शक्ति व्यायाम ही करना चाहिए। इसे आसानी से ऐसे समझें कि पूरी ताकत लगाकर व्यायाम कभी नहीं करना है बल्कि व्यायाम करते समय अपनी आधी ताकत का ही इस्तेमाल करना है

व्यायाम तथा योगाभ्यास करने के पश्चात कम से कम तीन-चार मिनट "शवासन" *अवश्य करें।

याद रखें कि जितना जरूरी योग और व्यायाम है उतना ही "जरूरी" उसके बाद शवासन करना भी है।

कुछ प्राकृतिक वेग ऐसे होते हैं जिन्हें रोकना नहीं चाहिए जैसे कि- डकार , प्यास, आंसू, श्रम जन्य श्वास, भूख आदि । इन वेगों को न रोकें। क्योंकि इनको रोकने से हृदय के स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।और.... क्रोध, शोक, चिंता, आदि जो मानसिक आवेग होते हैं यथा संभव इनसे अपना बचाव करें। क्योंकि इनका हृदय पर काफ़ी बुरा असर पड़ता है।

आयुर्वेद के अनुसार दिनचर्या आदि से संबंधित जिन उपायों से हृदय को शक्ति मिलती है और जिन कारणों से हृदय कमजोर होता है उनका उल्लेख मैंने ऊपर कर दिया है।

यहां किसी औषधि का उल्लेख नहीं किया गया है इसका कारण यह है कि कोई भी व्यक्ति जीवन भर औषधि खाना पसंद नहीं करता है ,परंतु दिनचर्या , आहार-विहार का पालन तो हम हर रोज करते हैं।

इनके अतिरिक्त आपको यदि कोई और जिज्ञासा हो तो कृपया अपने नज़दीकी आयुर्वेदिक चिकित्सालय अथवा आयुष हेल्थ एवं वेलनेस केंद्र से संपर्क करें ।

आयुष एवं आयुष शिक्षा विभाग उत्तराखण्ड द्वारा जनहित में जारी


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